पत्नी पर निबंध-Essay on Wife

* पत्नी नामक प्राणी भारत सहित पुरे विश्व में बहुताय पाए जाती है.


* प्राचीन समयमें यह भोजन शाला में पायी जाती थी,लेकिन वर्तमान में यह शौपिंग मोल्स, theaters, व्

लेखा-जोखा

एक प्रसिद्ध संत मृत्यु के बाद जब स्वर्ग के दरवाजे पर पहुंचे तो चित्रगुप्त उन्हें रोकते हुए बोले, 'रुकिए संत जी, अंदर जाने से पहले लेखा-जोखा देखना पड़ता है।' चित्रगुप्त की बात संत को अच्छी नहीं लगी। वह बोले, 'आप यह कैसा व्यवहार कर रहे हैं? बच्चे से लेकर बूढ़े तक सभी मुझे जानते हैं।'

संकल्पशक्ति

एक लड़का सदा अपनी मेज़ पर 'पी' लिख कर रखता था। वह अपनी किताबों और कॉपियों पर भी सदा 'पी' लिख दिया करता था। घर पर भी उसने जगह-जगह पर 'पी' लिख छोड़ा था। लोग हैरान होते थे, पर वह किसी को कुछ नहीं बताता था। धीरे-धीरे लोगों ने पूछना छोड़ दिया। हाई स्कूल केबाद वह कॉलेज में दाखिल हुआ। वहाँ भी 'पी' लिखने का उसका वह क्रम चालू रहा। कुछ दिनों तक लड़के आपस में चर्चा भी करते रहे, पर कोई उसके रहस्य को नहीं समझ सका। आखिर में सहपाठियों ने मज़ाक में उसका नाम ही 'पी साहब' रख दिया।

ईश्वर का प्रमाण

एक दिन एक राजा ने अपने सभासदों से कहा, 'क्या तुम लोगों में कोई ईश्वर के होने का प्रमाण दे सकता है?' सभासद सोचने लगे, अंत में एक मंत्री ने कहा, 'महाराज, मैं कल इस प्रश्न का उत्तर लाने का प्रयास करूंगा।' सभा समाप्त होने के बाद उत्तर की तलाश में वह मंत्री अपने गुरु के पास जा रहा था। रास्ते में उसे गुरुकुल का एक विद्यार्थी मिला। मंत्री को चिंतित देख उसने पूछा, 'सब कुशल मंगल तो है ? इतनी तेजी से कहां चले जा रहे हैं?'

कैंची और सूई

एक ह्रदय स्पर्शी कहानी

एक दिन किसी कारण से स्कूल में छुट्टी की घोषणा होने के कारण, एक दर्जी का बेटा, अपने पापा की दुकान पर चला गया। वहाँ जाकर वह बड़े ध्यान से अपने पापा को काम करते हुए देखने लगा। उसने देखा कि उसके पापा कैंची से कपड़े को काटते हैं और कैंची को पैर के पास टांग से दबा कर रख देते हैं। फिर सुई से उसको सीते हैं और सीने के बाद सुई को अपनी टोपी पर लगा लेते हैं। जब उसने इसी क्रिया को चार-पाँच बार देखा तो उससे रहा नहीं गया, तो उसने अपने पापा से कहा कि वह एक बात उनसे पूछना चाहता है? पापा ने कहा- बेटा बोलो क्या पूछना चाहते हो?

चाणक्य के 15 सूक्ति वाक्य ----


1) "दूसरो की गलतियों से सीखो अपने ही ऊपर प्रयोग करके सीखने को तुम्हारी आयु कम पड़ेगी।"

2)
"किसी भी व्यक्ति को बहुत ईमानदार नहीं होना चाहिए --- सीधे वृक्ष और व्यक्ति पहले काटे जाते हैं।"

चाणक्‍य

एक समय की बात है। चाणक्य अपमान भुला नहीं पा रहे थे। शिखा की खुली गांठ हर पल एहसास कराती कि धनानंद के राज्य को शीघ्राति शीघ्र नष्ट करना है। चंद्रगुप्त के रूप में एक ऐसा होनहार शिष्य उन्हें मिला था जिसको उन्होंने बचपन से ही मनोयोग पूर्वक तैयार किया था।

श्री अटल बिहारी वाजपेयी की एक कविता - ऊँचाई-A Poem by Shri Atal Bihari Bajpai

अटल बिहारी वाजपेयी की एक कविता - ऊँचाई


ऊँचाई 
ऊँचे पहाड़ पर,
पेड़ नहीं लगते,
पौधे नहीं उगते,